HEALTH NEWS...सेमल डोडा रस मेें वीर्य शीत से भरपूर,कई गुणों का वृक्ष !


(Bureau Chief-TWV, News Desk) देहरादून: सेमल के फूल और सेमल डोडा के नाम यह एक सब्जी व औषधी से भरपुर कांटे दार बड़ा पेड होता है। इस पेड में सेमल की गोल आकार की कलीयां व फूलों को खाने में इस्तमाल किया जाता है। वही इस सेमल के फूल के बाद इसमें फल की जगह कपास लगती है। जो बहुत ही गर्म व लाभ दायक होती है। तो आईये आपको इस सेमल की सब्जी,फल,फूल व पेड़ की खुबियां को विस्तार से बताते हुए। जिसमें एक है सेमल की सब्ज़ी। जो कई औषधीय गुणों से भरपूर है। इतना ही नहीं, आप सेमल की सब्ज़ी बनाकर भी खा सकतें है। सेमल के फूलों की मार्केट में बेहतर मांग है।


इसके फूलों को साफ करके, पुंकेशर एवं स्त्रिकेशर को निकालकर, मोटी हरी पंखुड़ियों को काटकर बेहतर सब्जी बनाई जाती है। उत्तराखण्ड, राजस्थान, उत्तरप्रदेश एवं बिहार के लोग तो इसके फूलों को दूर दराज से ढूंढकर लाते हैं। बताया जाता है कि इसके फूलों की सब्जी शरीर के विभिन्न रोगों के लिए लाभकारी होती है।सब्जियां, विटामिन, प्रोटीन और अन्‍य पोषक तत्‍वों के लिए प्राइमरी स्‍त्रोत होती हैं, इनमें पोटैशियम और फाइबर भी भरपूर मात्रा में होता है। बीज वाली सब्‍जी, जड़ वाली सब्‍जी, पत्‍तेदार सब्‍जी और फूल वाली सब्‍जी होती है और इन सभी के अलग - अलग लाभ होते है। यह सेमल डोडा वृक्ष आपको मार्च, अप्रैल, मई इस महिनों में खूब खिलता है और असानी से दूर से ही हर जगह दिखाई दे देगा।


वही जिसमें इस सेमल को डोडे मेें यह रस में मधुर होता है , गुणों में लघु एवं स्निग्ध और सेमल का वीर्य शीत होता है अर्थात यह शीतलता देता है। अपने इन्ही गुणों के कारण यह वात – पित नाशक, शुक्र बढ़ाने वाला, कफ की व्रद्धी करने वाला एवं शरीर को बल प्रदान करने वाला होता है। चिकित्सार्थ इसके पंचांग का इस्तेमाल किया जाता है।


इसके प्रयोग से विभिन्न समस्याएँ जैसे – वात व्रद्धी, पित की अधिकता , नपुंसकता , शीघ्रपतन, कामोदिपक , फोड़े – फुंसियां , रक्त पित , अतिसार , गांठे एवं रक्त प्रदर आदि दूर होती है। इस पेड़ के हर हिस्से को विभिन्न प्रकार की बीमारियों के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग अस्थमा, दस्त, घाव, ल्‍यूकोरिया, एनीमिया और त्वचा की समस्याओं के इलाज में किया जाता है।


वही जिसमें इस सेमल को डोडे मेें सेमल के बारे में लोगो को कम जानकारी होती है। इससे तकिये में भरी जाने वाली रूई निकलती है। इसके पेड़ की छाल आदि से कई तरह की बीमारियों का इलाज होता है। इसके नये पौधे की जड़ को मुसली भी कहते हैं।


सेमल की छाल से डायरिया को दूर किया जा सकता है। इसकी छाल को मोचरस कहते हैं। इसकी छाल को पीसकर महीन पाउडर निकल लें। फिर उसे आधा-आधा चम्मच दही या मट्ठा के साथ लेने पर लाभ मिलेगा। इसके नियमित प्रयोग से डायरिया जल्दी ठीक हो जाता है। सेमल से पेट संबंधी कई तरह के रोगो में आराम मिलता है। इसके पत्तों के डंठल का ठंडा काढ़ा दिन में तीन बार पीने से पेट की की समस्या दूर हो जाती है। पेशिच की शिकायत होने पर इसके फूल की ऊपरी परत को रातभर भिगोकर सुबह उसमें मिश्री मिलाकर पीयें, आराम मिल जाएगा। दस्त और पेचिश के अलावा इसके फूलों की सब्जी कोलाइटिस की समस्या में भी आराम देती है।


अतिसार एवं पेचिस में भी इसका उपयोग चमत्कारिक परिणाम देता है। अतिसार की समस्या में इसके पतों का डंठल तोड़ ले एवं इसका काढ़ा बना ले। इस काढ़े को 50 ML की मात्रा में रोगी को दिन में तीन बार देने से अतिसार बंद हो जाते है। पेचिस होने पर इसके फूल का उपरी भाग रात के समय पानी में भिगों कर सुबह के समय इस पानी में मिश्री मिलाकर सेवन करने से पेचिस की समस्या भी जाती रहती है।


वही जिसमें इस सेमल को डोडे मेें खुनी बवासीर में दूध में सेमल के फुल, मिश्री एवं खसखस इन तीनो को सामान मात्रा में मिलाकर आंच पर गरम करें। जब दूध गाढ़ा होकर मावे जैसा हो जाए तो इसे उतार कर ठंडा करले। नित्य सुबह एवं शाम इसको खाने से खुनी बवासीर में लाभ मिलता है। अगर बवासीर के साथ कब्ज की समस्या है तो पंचसकार आदि चूर्ण का प्रयोग कर सकते है।